प्रीत रा सपना मती मरोड़ गीत—सा आँसू ढळ जासी।
लाज री पलकां नै मत खोल नैण रो काजळ बह ज्यासी॥
दरद रो भाखर है भारी
समंद री छोळां तरणो है।
फूल री पांखड़ल्यां नै छोड
शूळ रै मारग चलणो है॥
बगत रा आखर चोखा मांड जनम री गांठा घुळ जासी।
प्रीत रा सपना मती मरोड़ गीत—सा आँसू ढळ जासी।
हेत री गंगा में न्हालै
भरम री भींतां बेगी तोड़।
आस रो मोत्यां रो गजरो
बांध लै कंठा मत नै जोड़॥
परखलै मोत्यां रो पाणी, उधारी सांसा पळ जासी।
प्रीत रा सपना मती मरोड़ गीत—सा आँसू ढळ जासी।
बात जद भींता कह देसी
भला क्यूं चालै अबखी चाल।
सरप स्यूं बेसी बिख राखै
घणा ई नाथै नर पंपाळ॥
उमर री गुदड़ी है भारी सांस रा तार तिसळ जासी।
प्रीत रा सपना मती मरोड़ गीत—सा आँसू ढळ जासी।
जमीं स्यूं आभो कतरो दूर
चांद पर मांड दिया सैनाण।
हेत रो खेत कठै बिणजै
हियै में सुळग रयो समसान॥
राखलै मरजादा हंस—बोल मिनख रो मोल बदळ जासी।
प्रीत रा सपना मती मरोड़ गीत—सा आँसू ढळ जासी।