नित निरखां वारी जावां तिरंगा,
धिन हिंदवाणीं देस रा
ऊंचो उड़ आकाश में तूं, और बढाजे़ मान।
लुळ-लुळ थांने निवणं करे, हरदम हिंदुस्तान॥
नित निरखां वारी.....
राखणं धर मर्याद नै, रक्षक रै दिन रात।
उणं सूरां रा हाथ में तूं, सांची सौभा पात॥
नित निरखां वारी.....
हिमाळे री हीम सूं , सागर तक सौभाग।
लहरा लेवे कोड करंतो, भारत रा बड़भाग॥
नित निरखां वारी......
मरूधर री मांटी सदा ही, राखणं थांरी रीत।
सीस दिया जोधा समर में, पावण थांरी प्रीत॥
नित निरखां वारी......