दूहा

माया जग को मोहणी, सजे रूप साकार।
सुख देवण संसार मों, कृष्ण रूप कळदार॥

गीत

दुनिया मांही देख दीवांना, रूपियों सूं सब राजी।
रंक सेठ सन्यासी राजा, क्या मुल्ला क्या काजी॥
पैसे बिगर कोय नहीं पूछै, खलक देख खुलासो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

रोकड़ बिना पिता नहं रीझे, माता रोस मनावै।
राजी मन देवै नहीं रोटी, क्यों नी जाय कमावै॥
घर मांईनों कदर घटियो, पाड़ोसी ले पास़ो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

उंचा खर्‌च करै अजाया, भिड़ै आपसरा भाई।
छोड़ घर तूं हो जा छेड़ै, लेकर बाळ लुगाई॥
फूट घर मों आछो पड़ियो, तीजै पौर तमासो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

उधारो मिळै नीं आंणौ, जहर खाण नै जाणो।
फाटा गूदड़ आई गरीबी, अति दुख उळझोंणो॥
कंके कंत नों कहे कामणी, कदै जाय कमासो।
माया बिगर कोय नहीं मानै, हुवै जगत में हासो॥

भूवाजी आ होया भेळा, मेळा जोर मनाया।
लिछमीजी रो छूटो लारो, दाळद घर दरसाया॥
कपड़ा लावै दोंणा कोनी, रेण दिवस ओ सांसो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

सगा संबंधी बै नीं स़ोड़ा, देख घरै देवाळो।
भिड़्यो भाग दालद सह भागो, पड़्यो माळवै पासो।
होय हैरान घरां सों हाल्या, परदेसां पंथ पाळो॥
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

हीमत राख सीखियो हूनर, कर मेहनत कमायो।
ज्यादा पैसो देख जमानो, खातो बैंक खुलायो॥
भूवाजी छोड़ै नें भागा, कियो वनों में वासों।
माया बिगर कोय नहीं मानै, हुवै जगत में हासो॥

धोती कुरतो अंग धारिया, सूट लियो सिलवाई।
बेल बोटम पेरली बेली, चड्डी अंदर चसकाई॥
ओपन शर्‌ट पेरियो ऊपर, बणियो रूप बना सो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

बणियो सेठ बड़ो व्यापारी, पद बाबूजी पायो।
लिछमी जी रो केवै लाडो, क्रोड़ां धन कमायो॥
बैठण नों अब कार बंगलो, बीच बजारां वासो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

पर उपकार करण नों पारस, कै खोल्या कारखाना।
लाखों लोग मजूरी लागा, हता दुखी हैराना॥
माया रो आडंबर माल्यो, च्यारूं कूंट चकासो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥

मात-तात भ्रात सब मानै, गुण दुनिया ही गावै।
चाकर बणै अनेकों चालै, कारज भला करावै॥
बारठ भंवर दान कह भाई, पैसे बिन दुख पास़ो।
माया बिगर कोय नहीं मांनै, हुवै जगत में हासो॥
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