आसाढ़ां रौ दिन ऊग्यौ, वा आभै कानी देखे है।
सूखोड़ै सावणियै नै वा, लूखै मन सूं लेखे है॥
भादरियौ बिन बरस्यां भाज्यौ,
हरियौ किम हरसावै जी।
ताती मुरधर री छाती पै,
बादळ कुण बरसावै जी॥
अबखा लागे दिन अकाळी, डाकण लागै डाई है।
मुरधर वाळां माणसियां, पग-पग पै पीड़ा पाई है॥
पाताळां सूं पाणी काढां, गोधां अर ऊंठां रै पीठां।
पांच कोस पै घड़ा, पखालां, दुखियारा हाथां में दीठा॥
दाणां रौ देठाळौ ना है,
टाबरिया कुरळावै है।
टूट्योड़ी घरबारी नै वा,
सांधा दै दै ठावै है॥
सपनां में भी सीरौ कोनी, राब सुबड़कै खाई है।
मुरधर वाळां माणसियां, पग-पग पै पीड़ां पाई है॥
चंवरा रौ चौफेरौ उड़ ग्यौ, ढिबगी रेतां ढांणी है।
ढोळै आग्या ढोर बापड़ा, सौ दुख री सैनाणी है॥
जाणी कुण हालत नाजोगां,
साहस खुद सहलावै है।
बूढो बा यूं बाका घालै,
ज्यूं त्यूं ई जीमावै है।
लीराळी चूनड़की ओढै, माथौ ढाकै माई है।
मुरधर वाळां माणसियां, पग-पग पै पीड़ां पाई है॥
अेवड़ पै ऊनड़की औ तौ, पड़चूनां में पूरी है।
करजौ है सेठां रौ कावळ, जद ही जी हुजूरी है॥
धीणै रा धरमेला टूट्या,
सूखी मिरचां खावै जी।
दुखड़ां सूं पीढ़ी रौ नातौ,
किणनै जाय सुणावै जी॥
गैला तू क्यूं सोच करे है, दुख आपां रौ भाई है।
मुरधर वाळां माणसियां, पग-पग पै पीड़ां पाई है॥