काजळ बणनै आँख समाई

बिरखा बण धरती पर आई

जिण रै हँसता काळजियै री

कुमळाई कळियां मुसकाई

अंतस में सीतळता भरती

मा रै आंचळ लेटी है

तपती बालू रेत बिचाळै

छाँव सरीखी बेटी है

बा मुळकै जग गद् गद् होवै

उण रै रोयां आभौ रोवै

जिण रो नांव लियां बापू री

तण- तण छाती चौड़ी होवै

पीढ्यां रो नित माण राखती

सुख भरियोड़ी पेटी है

जिण सूं नाक सदा ऊंचौ व्है

लाडो राणी बेटी है

तिल तिल बधतां चिंता खावै

कठै चिड़कली उडती जावै

कितरा बींद ढूंढती आंख्यां

कठै भेजस्यां डर खावै

जिण री एक मुळक रै आगै

सगळी खुशियां हेठी है

मिसरी ज्यूं मिठास घोळती

इमरत घड़लो बेटी है

हिरणी ज्यूं हेरै आंगण नै

झूर - झूर रोवै जामण नै

साथ सहेल्यां टोळी टळतां

पग माठा पड़ता जावण नै

जिण रै टुरतां खूणो- खूणो

रोय चढ़ै गरणेटी है

जिण सूं रूप निखारा लेवै

काजळ टीको बेटी है

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां
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