ओ, ऊँचै हिवड़ै रो हेमालो!
तायै जुगाँ सूं जती मतवालो;
गोदी में निपज अगणित हीरा;
ओ, आड़ कियाँ ऊभो रूखवालो!
पाणीड़ै री पून थमै जद
लूमै-झूमै रे बरसात।
घाट्याँ में घूम नद्यां उमगावै;
सोनलिया धोरा तेजा गावै;
बी मोती भरियै सागरियै सूँ
पग पूजण छल-छल छोल्याँ आवै;
लोर्याँ गाती लैर चलै जद
सौ-सौ पायल बाजै साथ।
बै डैण मेल रा मिणिया पोवै;
मावड़ नेह रो दिवलो संजोवै;
नोरां में गायां भैस्यां दूजै;
घणियाणी घर-घर छाछ बिलोवै;
मुलकाती माटी रा बोया
सगळो दुख-सुख लेवै बाँट।
हिंदवानी चोटी चम-चम चमकै;
मोमद री दाड़ी दम-दम दमकै;
म्हे काबा कासी पूजाँ साथै;
सिरजाँ तो घूमर साधै घमकै;
खीर-खाँड सो राम-रहीमा
भारत रा बेटा ही जात।
म्हारै देसड़लै री बात॥