उन्हाळो आयो रे

समट्या समट्या खेत खलाण

काईं सोवे खूँटी ता'ण,

छोरी होगी माथे स्वाण

सावो कढवाले करसाण

उन्हाळो आयो रे, उन्हाळो आयो रे,

भायल्यां दाईंदड़ की आग्या सबके जामणा

म्हारे आँगण न्ह आया गोणा का पावणा

लोड़ी माई मारे सैल

पीहर होग्यो जाणै जेळ

साजन कद देखूंगी देळ

उन्हाळो आयो रे, उन्हाळो आयो रे

आँधी भी चालै बैरण चालै रे डूँडाळो

पैला पाड़ा म्ह होयो, अजब को कुराळो

टूटी बड़ पीपळ की डाळ

दबगी भैस्याँ रोवै ग्वाळ

सूनी हो'गी ऊंकी साळ,

उन्हाळो आयो रे, उन्हाळो आयो रे

कमली को लगन मँड्यो जद धन्नी की सगाई रै

छानै से मेंहदी थारा नांव की लगाई रै

दन दन हिवड़ो जार्‌यो सीझ

थारा वादा थोथा बीज

कढती जावै आखातीज

उन्हाळो आयो रे, उन्हाळो आयो रे

उड़ता लेटा उळझाकै लेजा म्हारो लूगड़ो

पाछो आतां कै लाजे सजनरो पछेवड़ो

जाजै सासरिया की गैल

वाँके राता धोळा बैल

सुसरो म्हारो पंच पटेल

ऊँको बेटो दसवीं फेल

उन्हाळो आयो रे, उन्हाळो आयो रे

स्रोत
  • सिरजक : राम नारायण मीणा ‘हलधर’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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