कुण जाणै किण टैम बदळज्या

कौड़ी एक छदाम रो

मन घोड़ो बिना लगाम रो॥

काया नै घर में पटक-झटक घूमै मौजी असमाना में।

कुवदी लाखों उतपात करै, सूतै रै धरज्या काना में।

म्हूं ढूंढू बाग-बगीचा में छाणै राख मसाणा में।

हैरान करै काया कळपै लाधै नीं पलक ठिकाणा में।

दौड़े हड़बड़-दड़बड़ करतो

है भूखो खाली नाम रो

मन घोड़ो बिना लगाम रो॥

उळझ्यो जाळा-उळजाळा में आभै में उडतो अटक गियो।

दुनिया रै गोरखधधै री लोभी लाळा में लटक गियो।

भावा रै समन्द-हबोळा में तिरसूळ हियै में खटक गियो।

अळिया-गळिया घुचळिया में मारग में बैतो भटक गियो।

मस्त हसै रोवै पल में

कुण लेवै नाम निकाम रो

मन घोड़ो बिना लगाम रो॥

निचळो नीं रैवै अेक पलक मस्तानो हाथी मचल गियो।

लाड लडाता खाय ज्यूं, हाथ फेरता उछळ गियो।

गुड़तो-पड़तो ऊंचो-नीचो पग पड़्यो चीखलै तिसळ गियो।

पग बांध पटक ताळा जड़िया घर फोड़ पिछाड़ी निकल गियो।

काम-वासना कूड-कपट मन

हरदम बसै हराम रो

मन घोड़ो बिना लगाम रो॥

कुण जाणै किण टैम बदळज्या

कौड़ी एक छदाम रो

मन घोड़ो बिना लगाम रो॥

स्रोत
  • पोथी : मुरधर म्हारो देस ,
  • सिरजक : कानदान ‘कल्पित’ ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन बीकानेर
जुड़्योड़ा विसै