क्यूं भुल्या थे आज बावळो वाणी मरूधर देश री॥

जठे पग-पग देवळ देवां रा,और देवभूमि भी बाजे है।

तेजल रा गीतां सुणकर,घणघोर घटा भी गाजे है॥

और कितो करूँ बखाण इंरो, धरती दादू, जंभेस री।

क्यूं भूल्या थे आज बावळो,वाणी मरूधर देश री॥

इण भाषा रा गुणगान कई, कविराज छंदा में करिया है।

डिंगल पिंगल रा सुण दोहा, इचरज में गौरा पङिया है॥

नित पाँव धरो थे इणधर पर, धरती डिंगळ होरेस री।

क्यूं भुल्या थे आज..........॥

पीथळ पाथळ रा गीतां नै, सुण हिये जोश भर आवे है।

दादू रैदास री साख्यां सुणै, मन भक्तिरस उपजावे है॥

इचरज में पङिया लोग सभी, धरती ब्रम्हा महेश री।

क्यूं भुल्या थे आज ..........॥

मरूधर रा गीतां सुणनै, हियो घणों हरसावे है।

बेमाता सुं भी गीतां में, भाग भला लिखवावे है॥

सबळां सुं पैलां निवण करे, गावे कीरत गणेश री।

क्यूं भुल्या थे आज ..........॥

ब्यावां रे माहीं सब मिलने, गीत लुगायां गावे है।

उबटन, पीठी, तेलबान, सूं पैंला देव मनावे है॥

गावे है सींठणा गीत जठै, धरती बिरळा भेष री।

क्यूं भुल्या थे आज .........॥

कर्मा रा गीतां नै सुणकर, भगवान खीचङो खायो है।

मीरां रस प्रेम तणा गाकर, गिरधर गोपाल रिझायो है।

नित चैन री बंशी बाजे अठे, धरती है ब्रजेश री।

क्यूं भुल्या थे आज ..........॥

सुण वीररस रा कवितां नै, टैगोर जस्या सिरदार नम्या।

सिणगार तणा लिख छंदा नै, पीथल कान्हा नै अमर करिया।

मन कोड करंतो जिणनै सुण, अब आदर ना लवलेस भी।

क्यूं भुल्या थे आज बावळो, वाणी मरूधर देश री॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप सिंह इण्डाली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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