बिगड़्यौ जरा-जरा सी बात पै

मेरौ जीवन चलेगौ हाथ से।

साँझ पड़े मैं घर कू आयौ

मोसे पूछी खां जा आयौ

कुण कै आगै सीस झुकायौ

कुण की पगचम्पी कर आयौ

कुण का हक मं ठाडौ पायौ

कुण-कुण सूँ या भेद छिपायौ

बौरा दे दै सई-सई बातखै

मेरौ जीवन चलेगौ हाथ से।

ताळौ लग्यौ जबां पै पायौ

मैं जवाब नहीं दे पायौ

मोसूँ रूँस चलेगौ भायौ

मैंनै भारौई मनायौ

भाँत-भाँत समझायौ

या बगद नहीं आयौ

मैंनै फिर बिसवास बँधायौ

पूरौ कौल करार करायौ

अब रहूँगौ मैं आदमी की जातपै

मेरौ जीवन चलेगौ हाथ से।

स्रोत
  • पोथी : पेड़ पौन सूँ हालै ,
  • सिरजक : प्रभात
जुड़्योड़ा विसै