मामै रै ब्या में मां पुरसारी
दोन्यूं हाथां में पंचधारी
पुरसण आळी माऊ थारी
जीमो बेटा रात अंधारी।
रात अंधारी काळी–काळी
थे हो माळिक थे ही माळी
छांगो डाळा तोड़ो डाळी
सूतो दीसै बाग रो माळी
घर सूनो कुण करै रुखाळी
चुगल्यो फुलड़ा तोड़ो डाळी
सगळा साळा सगळी साळी
कुणसो देवै थांनै गाळी
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमो बेटा रात अंधारी॥
लारै हाळी बात बिसारी
सूंतो माया सगळी थांरी
कुण जाणै कद आवै बारी
झाड़ो, पूंछो फेर बुवारी
हम्मै जीमो थांरी बारी
थाळी पुरस दी न्यारी-न्यारी
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमो बेटा रात अंधारी॥