लाजां मरती ओढ़ पूमचो दांतां कतरै आंगळी।
दरवाजे सायब जी ऊबा भीतर भारी सांकळी॥
बांसरी बजावै सांसां चुगली खावै काळज्यो।
बाड़ा मं जाणे कुण आया भाभी दूरा टाळज्यो॥
तावड़िया नै मत बांधो सूरज का घोड़ा ढबज्यागा।
केस खोल मत बैठो भंवरा लटां फांस मं बंधज्यागा॥
नैणा मं काजळ की करक्यां होस्यारी सूं चाळल्यो।
बाड़ा मं जाणे कुण आया भाभी दूरा टाळज्यो॥
धीरां चालो नणदल बाई छांवलियां दब जावैगी।
ऊँची एड्याँ कर मत झांको फोलरियां चब जावैगी॥
म्हानै लागे नणदोई-सा घूंघट थोड़ो राळज्यो।
बाड़ा मं जाणे कुण आया भाभी दूरा टाळज्यो॥
देख्यो रूप चोवतो सीपां नै मूंडो झट फाड़द्यो।
चकवो आयो चाँद समझकर दे ढेकळ की ताड़द्यो॥
ढीलो मत छोड़ो प्रीतम नै मन पींजर में पाळज्यो।
बाड़ा मं जाणे कुण आया भाभी दूरा टाळज्यो॥