लाल हेवल्यां डंको देवै व्हाली गीतारी

नगर री आली गितारी

टाबर जलमै

ऊछब होवै

मंडै’क ज्यां घर ब्याव

इण नै तेड़ै

पीसै आळा

मन में घणखर चाव

रागणी जाणै अवतारी

बोल री बलिहारी

लाल...

‘साख’ ‘बंधावै’

‘पीलै’ री जद

लहरै लाम्बी टेर

‘चँवरी’ चौपड़

‘लूर’ ‘सपनो’

‘बनी बनै’ री फेर

कंठ जद गूंजै पिणिहारी

‘गोरबन्द’ ‘कुरजां’ ‘सिंझ्यारी’

लाल...

मोटो कुनबो

घणी गरीबी

गायण बिरत कमाई

मोल-मोल

आंटीली पूरी

नेम-धरम पतियाई

‘तमाखू’ गावै ‘सिंणगारी’

‘कलाळी’ जल्ली ‘बिणजारी’

लाल...

स्रोत
  • पोथी : मोरपांख ,
  • सिरजक : ओंकार पारीक / ओंकार श्री ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य अकादमी (संगम) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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