चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी

भीजै बळद किलोड़िया, चवै जूनकी ढांणी

हळिया जोतौ रै कांमेती

खेती निपजै धणियां हेती

हाळी बीज रौ हळोतियौ!

कूमठ रौ हळ, चऊ सुरंगी, नांई बीजणी सोवै

काढ़ ऊमरा धरती थारी आभै ने कांई जोवै

माटी कण रौ मण निपजावै, बेलड़ियां फूलांणी

चौमसै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी

हळिया जोतौ रै हाळती

खेती निपजै धणिया हेती

हाळी बीज रौ हळोतियौ!

काळ बरस रै पड़ी बीजळी, गैरौ इन्दर गाजै

भातौ लै भतवार खेत में, मझ दोफारां आजै

खाटौ-खीच सोगरा लाजै, मीठोडी गळवांणी

चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी

हळिया खड़लौ रै कांमेती

खेती निपजै धणियां हेती

हाळी बीज रौ हळोतियौ!

ज्यूं जळ बूठौ थल में रळियौ, ऊगी कूंपळ काची

पीळौ कीकर पड़ग्यौ करसा, थें धरती नै राची

ऊंचा मैल झुकै है, ज्यांरी झुपड़ियां सैनांणी

चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी

हळिया जोतौ रै कांमेती

खेती निपजै धणियां हेती

हाळी बीज री हळोतियौ!

स्रोत
  • पोथी : चेत मांनखा ,
  • सिरजक : रेवंतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : कोमल कोठारी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
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