बादळा बिजळी गाजै, बागां मांय मोर नाचै
टप टप बूंदा बाजै, जियो हरखावै है।
झकझोर हवा चालै, सागर मोती उछालै
देख नदी अर नाळा, नैणां सुख पावै है।
कोयल री कूक सुण, सुपना हिवड़ै बुन
फूळां सेज वाट जाती, गौरी सरमावै है।
नदियां हिलौरां लेवै, स्वाति बूंद सीप बेवै
गौरी ढोलाजी रौ मन, गीतड़लौ गावै है॥
तपता तावड़ा मांय, उगाड़ै पग वो जाय
रूखी सूखी रोटी खाय, अनाज उगावै है।
सुपना आंख्यां में ले'र, फाटी लुगड़ी नै पै'र
बेगौ उठ देवै टैर, पंछीड़ा भगावै है।
बादळी सूं फोटूं खेंच, इन्दर मजाक करै
जद किरसा रा नैणां, नीर टपकावै है।
टाबरां री पीड़ भूल, माटी में उगावै फूल
फसल खेतां में देख, गीतड़लौ गावै है॥
स्वामी प्राण वचावा नै, पन्ना सुत सीस दीधौ
कंत युद्ध जाए हाड़ी, काट माथौ लावै है।
जयमल पत्ता गोरा बादल रौ त्याग देख
रणबांकुरा री रग—रग फड़कावै है।
झांसी राणी रण चढ़ी, बैरियां सूं जाई लड़ी
हँस फांसी सुखदेव राजगुरु खावै है।
तिलक भगत अर आजाद री हिन्द फौज
तिरंगो हाथां में ले'र, गीतड़ली गावै है॥