घुघी दे दे मावड़ी पहरा दे फाट्यो मोजो
बरजै है गुवाड़ रै बिचाळै स्याणो ओझो
बाबोसा तो पोळी सांमी
बास्ते भी बाळ ली
काकोसा भी फौजहाळी
कामळां निकाळ ली।
उढादे म्हांनै गूदड़ी तो लागूं कोनी कोजो
बरजै है गुवाड़ रै बिचाळै स्याणो ओझो
पाड़ोस्यां रै सूंठ मेथी
दादोसा जमा लियो
आपजी क्यूं लूखो फलको
कांदै सागै खा लियो।
बतादे म्हारै भाग कुण देग्यो अळगोजो
बरजै है गुवाड़ रै बिचाळै स्याणो ओझो
छपरी री छांयां देखो
तारा सारा दीखरया
धूजतां नै महलां रा
नजारा सारा दीखर्या।
आंख देखै ठाठ सूं परायै घर सोपो
बरजै है गुवाड़ रै बिचाळै स्याणो ओझो
खाट ना खटोलो कोई
पूर ना बिछावणा
लोक लाज सारू पड़ै
फरज सै निभावणां
खून दे’र खींचर्या रिवाज रो ओ बोझो
बरजै है गुवाड़ रै बिचाळै स्याणो ओझो।