डेली मेळा म्ह घुमावै रै यो साजन बेईमान
साजन बेईमान नत कै खा वै म्हारी जान
चकरी डोलर म्ह झुलावै रै यो साजन बेईमान
आख्याँ का इसारा सूँ यो एटीएम चालर्यो
सौ को नोट माँगूँ दो हजार को निकाळर्यो
जस्याँ कोई साहुकार गाँव का गरीब को-
अँगूठो लगवार खाता बही नै समाळर्यो
उल्टो सीधो ब्याज लगावै खावै म्हारी जान
काची नींदाँ म्ह जगावै रै यो साजन बेईमान
हाल म्ह ले हाथ म्हारी लारां लारां चालर्यो
चत मन सायबा को अठी उंठी भागर्यो
भीड़ म्ह उठाईगीरा देर्या छै ठसेड़ा म्हारे
बावळो पराया ऊँचा डूँगराँ नै ताकर्यो
कळी कळी को बणबो चावै यो भौंरो मेहमान
घर की गुलमोहर कुम्लावै रै
यो साजन बेईमान
सोफ्ट्याँ सजा'र ऊबा अस्याँ मनवार म्ह
सीतमात ख्वा'र छोड देगा जाणै ब्वार म्ह
खाबा की दुकानां पै मच्यो छै घमसाण जस्याँ
भूखी प्यासी गायाँ भैस्याँ छोडी मक्का ज्वार म्ह
हाथी जाम पकोड़ी हाळा जाणै हाईकमान
आछ्या आछ्या नै तरसावै रै
यो साजन बेईमान
चींक सी जवानी जाणै सीमळा को फूल छै
प्यार न कर्यो तो केवै जिंदगी फिजूल छै
उबाणा पाँवाँ सूँ आवे मनड़ा देळ पै,
प्रीत का गेला म्ह पग पग पै घसूळ छै
म्हारा नखरा कड़वी बाताँ हीरा मोती जाण
अपणी पलकाँ सूँ उठावै रै
यो साजन बेईमान