सखीरी सपनै में सैण जगाई
चमकी झिझकी थर थऱ कांपी
सैण देख सरमाई—सखी री॰
मन में उमंगी रग रग नाची
किण कारण सकुचाई
पळ में बांह पड़ी गळ मांही
बिरछ बेल लिपटाई—सखी री॰
नैणां सैण सैण में नैणां
जोत में जोत जगाई
चतर सैण चाल्या जद चेती
मैं भोळी भरमाई—सखी री॰