जीव-जीव तो एक

जीव नै जोख्यूं लख अनेक

जीव तन्नै जीणो पड़सी रे

काया थारी लीर-लीर

तन्नै सीणो पड़सी रे॥

ऊंडी आंच तपी काया नै

सूंगी हाट बिकाणो है

इखरी-बिखरी इण बसती रो

कुणसो ठौड़ ठिकाणो है

कुण आंकैलो मोल तोल

थारो हीणो पड़सी रे॥

तूम्बा-बेल फळी धरती पर

खार घोळ दी खेतां में

थोर थरपदी पग डांडी पर

भरम घुळैलो हेतां में

और हवा में जैर घोळ

तन्नै पीणो पड़सी रे॥

हीणो हाण जलम दुखियारी

घास बणै अर लोग चरै

जीणो जिणरै हाथ नईं बस

जलम एक सौ बार मरै

शंकर अर सुकरात बण्यां

विप पीणी पड़सी रे

जीव तन्नै जीणो पड़सी रे॥

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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