अम्ब आण संभाल

पाळ, पोप, जोति जगा,

रोग, दोप, दळ गाळ

पाळ-पाळ बण पाहुणी,

धोरां-धुरती आव

आँधी ज्यूं आथूंण री

रज ज्यूं पकड़ उडाव

भूंडां ने भच-भगवती

खूटोड़ां ने खाव

आँख-टॉच, वण सां’वळी

झपटा देती आव,

रूंखाँ, टूँखां बैठती

अटक पड़ी जद नाव

कहतां हाजर हुई

वणिया किसा वणाव

अपणायत पाळी सदा

लिछमी रो धर रूप

भूप वणी भल भारती

टोपलियां ने टूँप

आजादी री नींव दी,

अभकी में अगवाण।

भीड़ पड़्यां भूली मती,

देश-धर्म री आण

राखी, फरकाई धजा।

सतवंतियां री शाख

पत पणवानां री सदा,

मानवियां रो नाक

कुण राखे थारै बिना

आज आव सज-सा’ज

गाज बणी गह उम्बरी,

भर भण्डारां नाज

भारत भाग वधावणी

स्रोत
  • पोथी : गुणवन्ती ,
  • सिरजक : कान्ह महर्षि
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