उड़ग्यो रे पंछी तोड़ गयो रे भव जाळ नै।
गमग्यो रे हँसो छोड़ गयो रे जंजाळ नै॥
जीं बाड़ी में चुगो चुगै छो वा बाड़ी वीरान भई।
बना फरैण्डी पणीहारी के पणघट भी सुनसान भई॥
थारा गीत कलौळां करतां, आण छुड़ाया महाकाळ नै।
गमग्यो रे हँसो छोड़ गयो रे जंजाळ नै॥
ईं बड़ला की जड़ां खोखळी पहली सूं पड़ताळ गयो।
आर्यो छो सूरज माथा पै काळो बादळ ढाळ गयो॥
माटी भेळे माटी घळमळ, कर दी रै अेक डूंडाळ नै।
गमग्यो रे हँसो छोड़ गयो रे जंजाळ नै॥
धूंधाड़ा नै बणा लकीरां यादां का घर घेर लिया।
चार कदम पाछै छूटी परछायां नै मुख फेर लिया॥
राम नाम मय हुयो प्रेम जी डगर बुहारी रे उजाळ नै।
गमग्यो रे हँसो छोड़ गयो रे जंजाळ नै॥