बाई सा तो अस्या रूपाळा ज्यूं मोत्यां की माळा।
हेरो हेरो नं नणदल का बीरा, वाँके भी घर हाळा॥
कतना बरसां काती न्हाया
सेजां गाई राम भणाया
चढ़्या सो’ळवों फकत्यो अब तो
पण तो बी थाँ जाण न पाया
घायल की गत घायल जाणै
थाँ अणजाण रूखाळा॥ हेरो...॥
कंचन बरणी याँकी काया
चंदण जाणै अंग लगाया
मुखड़ा पै ज्यूँ चाँद उतरग्यो
भोळी सूरत आम की छाया
चालै तो झुक पाँव चूमलै
गांव का गारियाळा॥ हेरो....॥
हेरो तो जी अस्या हेरज्यो
जोड़ी दीखै मलती मस्ती
नैणा नै सुरमा ज्यूँ लागै
गोरा हाथां मेंहदी रचती
चत पंछी बण उड्यो फरै छै
ये होग्या चरताळा॥ हेरो....॥
जाणै सूरज हाल उग्यो छै
कै लागै ज्यूँ चळकी खडती
जाणै ताळ में कंवळ खिलै छै
सोरम लागै गळती—गळती
याँनै देख्याँ रोळा होवै
चत्तरमास उन्हाळा॥ हेरो...॥