म्हारै मन की मन म्ह रहगी राम, बीत्या जावै साल
कंचन सी काया ढळगी राम, बीत्या जावै साल
सुखिया सोम बरत करूँ, गोरी संकर नै पूजूँ
काती न्हाबो न्ह छोड्यो, स्याळा म्ह थर थर धू जूँ
आसे तो न्ह आया छा पण, नटी न्ह हामळ भरदी
लछमी का लोभी मनख्यॉ नै, सुरसत सूँ ना करदी .
म्हारी लग्न्याँ पाछी फरगी राम, बीत्या जावै साल
रात रात भर आंख्यां फोड़ी, ऊँची करी पढ़ायाँ
मेरिट म्ह आई छी तो भी, छूटी केई सगायाँ
भायल्याँ गी सभी सासरै, म्हूँ बैठी मन मार्याँ
मायड़ का घड़वाया जेवर, बाबल की तैयार्याँ
डाइजा म्ह कमती पड़गी राम, बीत्या जावै साल
तीज तुहारॉ मन न्ह लागै, गीत गाळ नहीं भावै
दादाजी की पोळ कुँवारी, सावा कढता जावै
आखातीज की आसा, पैदा होताँ ही झकरागी
बसत पंचमी पै भी म्हारै हळद न्ह मेंहदी लागी
देउठणी भी यूंही कढगी राम बीत्या जावै साल
गायाँ आती देख लुआरा तोड़ जेवड़ा भागै
बरसाँ सूँ सूखी छात्याँ भी भीजी भीजी लागै
छोटा भाई का आँगण म्ह गूँजै छै कलकार्याँ
करम खोडली क्ह क्ह ताना मारै छै भोजायाँ
म्हूँ कण कण हो'र बखरगी राम बीत्या जावै साल
परबत सी ऊमर को दुखड़ो कुण कै सँग काटूँगी
कुण का काँधा को सारो ले आँसूड़ा बाँटूँगी
बड़ पीपळ छै ब्होत पराणा जाणै कद गर जावै
माथा पै दो हाथ काँपता कद सेळा पड़ जावै
म्हूं चंता कर कर मरगी राम बीत्या जावै साल