बाजगी भाळ मौसमी आज़ बसन्ती ऋतु आ गई
बन-बन फूल रही सरसूं सौरभ मनडै भा गई
रथ हांकतौ आ गयो
बासन्ती बानौ धार
तळै चांदणी दूधाळी में
झुळसै सारा गांव
मुट्ठी भर-भर उड़ै गुलाल तन-मन प्रीत भर्या मुळकाय
बाजगी भाळ मौसमी आज़ बसन्ती ऋतु आ गई
हरी-भरी मखमली जाज्यां
अलसी घूमर खाय
सरसूं राणी सोनौ पहर्यां
घणी-घणी इठलाय
नद्दी पायलड़ा झणकाय, धोरा अलगोज्या बजाय
बाजगी बाळ मौसमी आज बसन्ती ऋतु आ गई
कूंपळ-कळियां अल्हड़ झूमैं
मौसम करै जुहार
मदमाता फुलड़ां सूं टपकै
ऊपर ल्हैर उमारं
मोरिया झूमै पांख पसार मोरण्यां देख-देख सरमाय
बाजगी भाळ मौसमी आज़ बसन्ती ऋतु आ गई
रंग-रंगीली चूनड़ हांसै
मंगळ गीत सुणाय
ताळ मजीरा ढोलक बाजै
हिवड़ा नै धड़काय
आ गयौ मौसम यौ मधुमास घुळगी रातां मीठी बात
बाजगी भाळ मौसमी आज बसन्ती ऋतु आ गई