कुण थानै मिनख बतावैलो।
कुण थानै लाड लडावैलो॥
थे गिरता पड़ता आखड़ता
निठ नैड़ै सी आ लाग्या हो।
“खाल्यो पील्यो मोज करो”
नै लेकर थे क्यूं भाग्या हो॥
पशुवां रो आछो पशुपणो
कद पशुपणै नै लाजै है।
मिनख, मिनख री छोड
मिनख, तो मिनखपणै स्यूं भाजै है॥
हो धीरज रा थे धणी घणा
पण थारै दुख नै कूण हरै।
अड़ो, लड़ो जूझो दुख स्यूं
कुण कायर थांरो नाम धरै॥
सूरज रो तेज पड़ै फीको
बायरियो सोग मनावैलो।
आस मीच लै आँख जठै
तो हाथ-हाथ नै खावैलो॥
दिन धोळै धाड़ मानवी री
धन-मान लूटणै में लागी।
सै-फाळ चुकग्या दीसै है
म्हे देख रह्या भागा भागी॥
मत धोळ-फूलिया बणो घणा
घोळै पर दाग घणो आवै।
कद मैल कटै मन मैलां रो
साबण में झाग घणो आवै॥
कुरबानी रो बलिदानां रो
कुण मोल चुकाणो चावै है।
आयो है घिरतो बायरियो
थामो, तो थमसी’ जावै है॥
बाळक सी भोलै टाबर सी
आजाद देस री आजादी
आ सोरी सी कोनी ल्हाधी॥