म्हारै से डरपत नहीं ऊंदरा
सेंध चलावै छप्पर में
कैसे पतो पड़ो बणजारिण
चूंटी ना छोड़ो चून
बहिन मेरी कर दियो
छेट चपटिया में
कोठी और कुठीला में
पंसेरी कर दी मींग
बहिन मेरी जौ की
कर दई बेजरिया
चूहा मारन मैं गई
झट्ट बिलन में जाय 
बहिन मेरी पौंछ
हिलावै गिट्टै में।

चूहा

मेरे से डरता नहीं चूहा

सेंध लगाए छप्पर में

कैसे पता चला बनजारिन

एक चुटकी नहीं छोड़ा आटा

बहिन मेरी कर दिया

छेद कर दिया चौबारे में

कोठी और कुठिला में

पंसेरी पर कर दी मैंगनी

बहिन मेरी जौ का कर दिया आटा

चुहे को मारने में गई

चूहा तूरंत बिल में घूस गया

बहिन मेरी

पूंछ हिला रहा बिल में।

चूहा

मेरे से डरता नहीं चूहा

सेंध लगाए छप्पर में

कैसे पता चला बनजारिन

एक चुटकी नहीं छोड़ा आटा

बहिन मेरी कर दिया

छेद कर दिया चौबारे में

कोठी और कुठिला में

पंसेरी पर कर दी मैंगनी

बहिन मेरी जौ का कर दिया आटा

चुहे को मारने में गई

चूहा तूरंत बिल में घूस गया

बहिन मेरी

पूंछ हिला रहा बिल में।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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