सूरज पूजतां कुरजा नावण थू कठे जाय?
जणी घर सूरज पूजनी, सूरज पूजावा ने जाय।
डूंगर चढ़ती वेलड़ी, ढोलण थू कठे जाय?
जणी घर सूरज पूजती, ढोल बजावा ने जाय।
डूंगर चढ़ती बेलड़ी, कुमारण थू कठे जाय?
जणी घर सरज पूजती, कलस बंदाबा ने जाय।

(1)

सूरज पूजण बहू नीसरी, भला-भला सुगण मनाय।
तू मत जाणे जच्चा मैं बड़ी जी,
राणी भाग बड़ो छै थारी सास को, जिण जाया पूत सुलखणा।
दोय-दोय लाडू सोंठ का धण उठी मचकाय,
सूरज पूजण बहू नीसरी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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