आज म्हारे दादाजी री पोल्या मालण ऊभी राज।

सुण-सुण मालिड़ा री बेटी कई कई विक्री लाई ए?

फूल मोगरो केल-केवड़ो गूथी लाई राज।

आज म्हारे काकाजी री पोल्या मालण ऊभी राज।

सुण सुण मालण री बेटी कई कई विक्री लाई ए?

फूल मोगरा केल केवड़ो सेवरड़ो गूथी लाई राज।

आज म्हारे मामाजी री पोल्या मालण ऊभी राज॥

सुण सुण मालिड़ा री बेटी कई कई विक्री लाई ए?

फूल मोगरो केल केवडो सेवरडो गूथों लाई राज।।

आज म्हारे मासाजी री पोल्या मालण ऊभी राज।

सुण सुण मालिडारी बेटी कई कई विक्री लाई ए?

फूल मोगरो केल केवड़ो सेवरडो गूंथी लाई राज॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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