रातां पल्लां रींगणी धोळा जायल का फूल

सवागणि ये थारो बालो कुण

बाळपणे म्हारी मायड़ प्यारी पछै जी जळ जामी बाप

भर जोबन केसरिया प्यारा पछै जी झडूल्या पूत

रातां पल्लां रींगणी धोळा जायल का फूल!

ओढ़नी के लाल पल्लों पर 'रींगणी' 'सफेद जायल' के पुष्प

सुहागिन ये तुम्हारा साथी कौन

बचपन में मेरी माँ प्यारी बाद में प्यारे पिता

भरे हुए यौवन में प्रिय प्यारे बाद में पुत्र

ओढ़नी के लाल पल्लों पर 'रींगणी' 'सफेद जायल' के पुष्प

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
जुड़्योड़ा विसै