सांझ पड़ी दिन आंतियौ रै

करवा तेलण ल्यायी तेल

कांयी करूं ये तेलण तेल को

म्हारा साईना बसै परदेस

झुक ज्यायी रै म्हारा आलिजा रा करेलिया

नीरूं-नीरूं नागर बेल

आधा तौ नीरूं डोडा ओळची रै

आधा तौ नीरूं चंपेली रा फूल

सांझ पड़ी दिन आंतियौ

खातण ल्यायी खाट

कांयी करूं ये खातण खाट को

म्हारा साईना बसै परदेस

झुक ज्यायी रै म्हारा साईना रा करेलिया

तने नीरूं नीरूं नागर बेल

आधा तौ नीरूं चंपेली रा फूल

पावूं-पावूं संमद झिकोळ

तनै झेकूं-झेकूं बेळू रेत

सांझ पड़ी दिन आंतियौ

दरजण ल्यायी सोड

कांयी करूं ये दरजण सोड़ को

म्हारा मुरधरिया बसै परदेस

झुक ज्यायी रै म्हारा आलिजा रा करेलिया

नीरूं नीरूं नागर बेल

आधा तौ नीरूं डोडा अळची रै

आधा तौ नीरूं चंपेली रा फूल

सांझ पड़ी दिन आंतियौ

मालण ल्यायी छै फूल

कांयी करूं ये मालण फूल को

म्हारा साईना बसै परदेस

सूर्यास्त होते ही दिन छिपने लगा रे

कुल्हड़ भर कर तेलन लायी है तेल

क्या करूँ मैं तेलन तेल का

मेरे साईना बसते हैं परदेस

झुक जा मेरे आलिजा के प्यारे ऊँट

तुम्हें चरने के लिए दूँगी नागर बेल

आधे तो नीरूंगी डोडे और इलायची

आधे तो नीरूंगी चमेली के पुष्प

सूर्यास्त होते ही दिन छिपने लगा

सुथारन लायी है खाट

क्या करूँ मैं सुथारन खाट का

मेरे साईना बसते हैं विदेश

झुक जा मेरे आलिजा के प्यारे ऊँट

तुम्हें चरने के लिए दूँगी नागर बेल

आधे तो नीरूंगी चमेली के पुष्प

पिलाऊँ-पिलाऊँ तालाब का पानी नितार कर

तुझे बिठाऊ-बिठाऊ बालू रेत में

सूर्यास्त होते ही दिन छिपने लगा

दर्जी की पत्नी लायी है बिछोने

क्या करूँ मैं दर्जी की पत्नी इन बिछोनों का

मेरे मुरधरिया बसते हैं विदेश

झुक जा मेरे आलिजा के प्यारे ऊँट

तुम्हें चरने को दूँगी नागर बेल

आधे तो नीरूंगी डोड़े इलायची रे

आधे तो नीरूंगी चमेली के पुष्प

सूर्यास्त होते ही दिन छिपने लगा

मालन लायी है पुष्प

क्या करूँ मैं मालन इन पुष्पों का

मेरे साईना रहते हैं विदेश

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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