कठे तो बाज्या अजमालजी रा छावा बाजिया।

वारी जाउँ, कठे तो घुर्‌या छै निसाण,

आज अजमालजी रो छाबो धोकस्यां॥

रुणीचे तो वाच्या ओ, अजमालजी रा छावा बाजिया।

जाती तो आवे अजमलजी रा छावा दूर का॥

वारी जाऊँ साँवळिया मोट्यार,

जातगा आवे तो अजमलजी रा छाबा कुल वऊ,

वारी जाऊँ गोद जड़ूला जी पूत॥

चढै चढ़ावे थारै चूरमो और चोट्याला नारेल,

बारी जाऊँ ज्यांरी थे पूरो आस॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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