आज तो सोना को सूरज ऊग्यो, ऊग्यो रे लाल, आज रे।

मोतीरों तोरण जगमग्यों रे लाल, आज रे,

बाबाजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल, आज रे॥

दादाजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल आज रे,

आज रे दादी मायड़ गावे मगल रे लाल।

आज रे काकाजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल॥

आज रे मामाजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल॥

आज रे काकी मामी गावे रे मंगल गान,

आज रे नानीजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल।

आज रे नानी गावे मंगळ रे गान,

आज रे जीजाजी रे हिवड़े हरख घणो रे लाल।

आज रे जीजी गावे मंगळ गान।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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