थोड़ो सो लुळ जा रे लाल जी
थोड़ो सो लुळ जा लाल जी
नीम री नींबोळी म्हारै अड़-अड़ जाय
म्हे थानै कैवां लाल जी
ओ कैड़ौ सीधौ ब्याई जी
बोझियां मर जाय
थोड़ो सो लुळ जा रे लाल जी
थोड़ो सो लुळ जा लाल जी
नीम की नींबोळी म्हारै अड़-अड़ जाय

म्हे थानै कैवां लाल जी
काळी मत लाइजो
सोवण रा महल में अंधेरो हो जाय
थोड़ो सो लुळ जा रे लाल जी
थोड़ो सो लुळ जा लाल जी
नीम री नींबोळी म्हारै अड़-अड़ जाय

म्हे थानै कैवां अे भाभी
गौरी-गौरी ल्यासां
सोवणियां रा महल में दीयौ तो जळ जाय
म्हे थानै कैवां लाल जी
लांबी मत लाइजौ
सोवणियां रा महल में अड़ जाय

थोड़ो सो लुळ जा रे लाल जी
थोड़ो सो लुळ जा लाल जी
म्हे थानै कैवां अे भाभी
ठिगणी-ठिगणी ल्यासां
सोवणियां रा महल में सीधी-सीधी जाय
थोड़ो सो लुळ जा रे लाल जी
थोड़ो सो लुळ जा लाल जी
नींम री नींबोळी म्हारै अड़-अड़ जाय।

नींबोली

थोड़ा सा झुक जा देवर

थोड़ा सा झुक जा देवर

नीम की नींबोली छू-छू कर जा रही है

मैं कह रही हूँ देवर तुझे

यह कैसा सीधा समधी

बोझ मरता जाय

थोड़ा सा झुक जा देवर

थोड़ा सा झुक जा देवर

नीम की नींबोली छू-छू कर जा रही है

मैं तुझे समझाऊँ देवर

काली दुल्हन मत लाना

सोने जैसे महल में अंधेरा हो जाएगा

थोड़ा सा झुक जा देवर

थोड़ा सा झुक जा देवर

नीम की नींबोली छू-छू कर जा रही है

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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