मारे बाड़ा में बावलियो रे (भील यात्रा गीत)

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मारे बाड़ा में बावलियो रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे एकुएक कुवरियो रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे कुंवर माघो पड़ियो रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे मालवा में गौतमजी रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे जोड़ टोटां नीं मानता रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे सुतापोर सुतारी रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे सुतारी तेडावू रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे बावलियो कटावूं रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे माकिए मेलावुं रे, तीरथ जाई रे जाई।

मारे आतमणो केसरियो जी, तीरथ जाई रे जाई।

प्रसंग इस में तीर्थ यात्रा करते समय किस स्थान पर जाना है। उस स्थान पर क्या करना है इस का वर्णन किया गया है।

गीत का भाव पक्ष:

इस गीत में एक मां कहती है कि मेरा एक ही पुत्र है। मेरा यह पुत्र बीमार हो गया है। मैं इसीलिए तीर्थ यात्रा करने जा रही हूँ। मेरा मालवा देश है वहाँ गौतमजी का तीर्थ है (गौतम जी राजस्थान में प्रतापगढ़ (चित्तोड जिला) के पास अरनोद तहसील में स्वयं भू महादेव का स्थान है) मैं उस गौतम जो के मन्दिर जा रही हूँ। वहाँ से मैं पश्चिम दिशा (आतपणा) में जाऊंगी जहाँ केसरियाजी (ऋपभदेव-डूंगरपुर जिला) का मन्दिर है। केसरिया जी जाकर मैं केसर चढ़ाऊंगी। गीत की स्वर लिपि :- मात्रा 4—चतुष्पदी गीत।

स्रोत
  • पोथी : भील संगीत और विवेचन ,
  • सिरजक : अज्ञात ,
  • संपादक : मालिनी काले ,
  • प्रकाशक : हिमांशु पब्लिकेशन्स (उदयपुर) ,
  • संस्करण : द्वीतीय संस्करण
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