माइडेम मजदूरानो मजो है रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम तनका कणी करडी हे रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम कलर वाला कमरा हे रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम कबको मजो आवे रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम टम्पर घणा साले रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम टम्पर मां बेवा नो मजो रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम ट्रेक्टरां घणा साले रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम ट्रेक्टरां मां बेवा नो मजो रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
माइडेम सावल घणा साले रे, माइडेम बिजली दीवो लागे।
गीत का प्रसंग— यह गीत बांसवाड़ा जिले में बने माही बजाज सागर पर नव निर्मित बांध पर भील मजदूर गाते है। निर्माण कार्य में लगे भील युवक व युवतियां ट्रेक्टर, डम्फर व विभिन्न प्रकार की मशीनों का वर्णन करते हैं।
गीत का भाव पक्ष— युवक युवतियां गाती हैं कि माहीडेम पर मजदूरी करने का बड़ा मजा है। माहीडेम पर बिजली के दीपक जलते हैं। माहीडेम पर मजदूरी बहुत अच्छी मिलती है। माहीडेम पर रंगवाले कमरे हैं। वहां ट्रेक्टर, डम्फर, ट्रक एवं अन्य कई मशीनें चलती है। इन मशीनों एवं वाहनों पर बैठने में आनन्द आता है।