ज्वारमेह फूटा हरिया हुआहाळीजी हळजुड़ो संभाळोहाल पुरीजै मेड़तैहळ पुरीजै अजमेरकोठी खोलां काडां कोड्याळी जुवार।
ज्वार
बारिश हुई धरती हरी हुई
हे कृषक हल और जुआ संभालो
हाल बन रही मेड़ता में
हल बन रहा अजमेर में
कोठी खोलेंगे
निकालेंगे मनभावन ज्वार।