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काचर
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ऊंचै मगरै जाऊं अे माय
खीरिया काचर लाऊं अे माय
बीरै नै जीमाऊं अे माय
बीरो म्हारौ भाई अे माय
म्हैं बीरा री बाई अे माय
चूनड़ली ओढाई अे माय।
काचर
स्रोत
पोथी
: राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना
,
संपादक
: डॉ. हनुमान गालवा
,
प्रकाशक
: बुक्स ट्रेजर, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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