अे तौ कुणा साका बायैड़ा

कुण सा सींच लिया

अे तौ ईसर जी का बायैड़ा जी

गौरां बाई सींच लिया

बहू म्हारी सींच्या जतन स्यूं जी

हरिया-हरिया सरस बध्या

बांरौ सर सपटारौ जी

सुदरां बाईसा पैर लियौ

अे तौ सूरज जी का बायैड़ा जी

रानादै जी सींच लिया

बहू म्हारा सींच्या जतन स्यूं जी

हरिया-हरिया सरस बध्या

बहू रौ सर सपटारौ जी

सुदरां बाईसा पैर लियौ

बांरौ दांत्यौ सौ चुड़लौ सिवा बाईसा पैर लियौ...

यह तो किसके बोये हुए

किसने सींच लिए

यह तो ईसर जी के बोये हुए

गौरां बाई ने सींच लिए

बहू हमारी ने बड़ी मेहनत से सिंचाई की

ये जुंवारे हरे-हरे सरस लम्बे बढ़े हैं

उनमें से कुछ जुंवारों को

सुदरां बाईसा ने पहन लिया

यह तो सूर्य देव के बोये हुए

राना दे जी ने सींच लिए

बहू हमारी ने बड़ी मेहनत से सिंचाई की

ये जुंवारे हरे-हरे सरस लम्बे बढ़े हैं

इनमें से कुछ जुंवारों को बहू ने तोड़ा है

इन्हें सुदरां बाईसा ने पहन लिया

जुंवारों को हस्ती दाँत के चूड़े की तरह शिवा बाईसा ने पहन लिया

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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