अे तौ ऊंचै मंगरै ओ राज
हरिया जुंवारा लुळिया जुंवारा
जौ ये चरंता मिरगला
मिरगा घेरौ जी बिरमाजी का ईसर जी
म्है क्यूं घैरां ये
गौर सांवळड़ी
गौर पातळड़ी
नांनी बाई सासरै
बाई रा गांवां में बरसैलौ मैह
पनाळ्यां पाणी पड़ै
धौळा बळदया
औ बीरा बैल जुताद्यौ
ल्यावौ गौरां की तीजण्यां!
यह तो ऊंचे मगरे पर ओ राज
हरे-हरे जौ लह-लहा रहे हैं
जौ को मृग चर रहे हैं
मृगों को घेरो ब्रह्माजी के सुपुत्र ईसर जी
हम क्यों घेरें
गौर-सांवली
गौर इकहरे बदन की
मेरी नन्ही बहिन ससुराल में है
बहिन के गाँवों में वर्षा होगी
नालियों से पानी बह रहा है
धवल बैलों को
ओ भय्या बैल जुतवादो
लेकर आवो गौर की तीजणियों को