कुण्डलो भर केसर घोली जद लाम्बा केस पछाट्या,

मलूकजादी जच्चा।

गोरी एक अरज म्हारी सुणज्यो, सासूजीरा आदर लीज्यो।

हो पिया सासूजी म्हानै नी सुहावै,

म्हारी खाल चरुंठ्या मारै ए, मलूकजादी जच्चा।

गोरी एक अरज म्हारी सुणज्यो,

भाभीजीरो आदर लीज्यो, मलूकजादी जचा।

पिया भाभी जी म्हानै नी सुहावै,

मोपै रात्यूं पीसणों पिसावै, मलूकजादी जच्चा।

गोरी एक अरज म्हारी सुणज्यो,

दौराणी रो आदर लीज्यो, मलूकजादी जच्चा।

पिया दौराणी म्हानै नीं सुहावै,

म्हारी आधी रसोई बँटावै, मलूकजादी जच्चा।

गोरी एक अरज म्हारी सुणज्यो,

बाईसारो आदर लीज्यो, मलूकजादी जच्चा।

पिया बाईसा म्हानै नीं सुहावै,

म्हारी एकरी आठ लगावै, मलूकजादी जच्चा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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