होळी आई सहेल्यां खेलां लूर, होळी आई हो।

कोई-कोई ओढे झीणी चूनड़,

कोई कोई ओढे दिखणी चीर, होळी आई

होळी आई सहेल्या खेलां लूर, होळी आई हो

कोई-कोई पहरे रिमझिम विछिया,

कोई-कोई पहरे पायलड़ी, होळीआई हो।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी लोकगीत ,
  • संपादक : पुरुषोत्तमलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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