गौरल गौरल गौरजां ये

गौरल खोल किंवाड़

बायर ऊबी तीजण्यां ये

भीतर ऊबा छै राव

क्या धन मांगे तीजण्यां ये

क्या धन मांगे राव

अन धन दैस्यां तीजण्यां ये

घुड़ला दैस्यां राव

अतरौ दै म्हारी गौरजां ये

दीज्यौ सौ पिरवार

दीज्यौ पीवर सासरौ ये

सुसरा गढां का राजवी ये

बाप दिल्ली कौ राज

सासू म्हारा बाई निरमळा ये

माय गंगा रौ नीर

दैवर देवां बाई आगळा ये

बीर पून्यू को चांद

नणदल आभा बाई बीजळी ये

बै'न सावण की तीज

बाप कै 'वै बेटी लाडली ये

माय कै'वै परदेस

बीरौ कै 'वै बेनड़ बीजळी ये

खिंवे रै परायै दैस

गाजूं तौ घौरुं बीरा माळवौ रे

बरसूं बाबौसा कै देस

बरस निपजाऊं बीरा बाजरौ ये

कोड्यां रळी रै जुंवार

दळछड़ रांदूं बीरा खीचड़ौ रे

धौळी तिल्ली कौ तैल

चूल्ह बैठो चांदडौ ये

हांडी रौ हमीर

दांतण नीं मोळे बाई दळ-दळ ये

खल्लां पैरयां खाय

इस्यौ बर टाळी म्हारी गौरजां ये

निरधनियौ भरतार

म्हैलां बैठा मद पीवे

जांगड़िया गुवाय

हसती घूमै बाई बारणै ये

मुरधरियां रौ राज

घुड़लै बैठा पड़ गुड़ ये

अबलक रा असवार

खांगी बांधै पागड़ी ये

चाल राठौड़ी चाल

इस्यौ बर दै म्हारी गौरजां ये

सारां म्है सिरदार

गौरल थांरा बाई बैसणा ये

चोखी चूंदड़ हौय

काल ओढी छी बाई पूजतां ये

सरब सवागण हौय

गौरल थांरा बाई बैसणा ये

हिंगळू की टींकी हौय

गौरल थांरा बाई बैसणा ये

चोखौ सुरमौ हौय

काल सारयौ छौ बाई पूजतां ये

सरब सवागण होय

गौरल थांरा बाई बैसणा ये

चोखी मैंहदी हौय

का'ल लगायी बाई पूजतां ये

चोखौ चूड़ौ हौय

का 'ल पैरयौ छौ बाई पूजतां ये

सरब सवागण होय

गौरल थांरा बाई बेसणा हो

चोखा चावळ हौय

का 'ल जीम्या छा बाई पूजतां ये

आज नै लागी भूख

गौरल थांरा बाई बैसणा ये

हिंगळू कौ ढोल्यौ हौय

का 'ल पौढ्या छा बाई पूजतां ये

घुळ-घुळ आवै नींद!

गौर-गौर हे गौरां बाई

गौर अपने मंदिर का किंवाड़ खोल

बाहर खड़ी है तीजनियां

भीतर खड़े हैं राव

क्या धन मांग रही है तीजनियां ये

क्या धन मांग रहे हैं राव

अन्न धन देंगे तीजनियों को

घोड़े देंगे राव को

इतना देकर के मे री गौरां बाई

देना भरा पूरा परिवार

देना पीहर और ससुराल ये

श्वसुर गढ़ों के राजा हो

पिता दिल्ली के राजा

सास मेरी गौरां बाई निर्मल स्वभाव की हो

मां गंगा का जल

देवर देंगे बाई नटखट ये

भाई पूर्णिमा का चाँद

ननद बादलों में चमकती बिजली ये

बहिन श्रावण की तीज

पिता कहते हैं पुत्री लाडली ये

मां कहती है पराया धन

भाई कहता है बहिन बिजली ये

चमकती है जो पराये देश में

गर्जन और तर्जन तो भाई मालवे में रे

बरसूंगी बड़े पिता के देश में

बरस कर निपजाऊंगी भाई बाजरा रे

कोड़ियों जैसी सुन्दर ज्वार

दल कर कूट कर बनाऊंगी भाई खीच रे

सफेद तिल्ली का तेल

चूल्हे के पास जो युवा बैठा है

वह पेटू है

दांतुन नहीं करता बाई आलसी ये

जूते पहने ही भोजन करता

ऐसा वर टालना मे री गौरां बाई

ऐसा निर्धन पति मत देना

महलों में बैठा मद्यपान करे

महफिल में गाने चलते हो

हाथी घूमते हो बाई जिसके द्वार पर ये

मरुधर देश पर राज हो

घोड़े पर बैठता हो उठता गिरता ये

अबलख घोड़े का सवार

टेढी बांधता हो पगडी ये

जिसकी राठौड़ी चाल हो

ऐसा वर देना मे री गौरां बाई

जो सभी का सरदार हो

गौरां बाई आपके आशीर्वाद से

अच्छी चुनरी हो

कल ओढ़ी थी बाई पूजते समय

सदा सुहागिन हो

गौरा बाई आपके आशीर्वाद से

हिंगलू की बिन्दी हो

गौरां बाई आपके आशीर्वाद से

अच्छा काजल हो

कल अंजन किया था बाई गौरी पूजन के समय

सदा सुहागिन हो

गौरां बाई आपके आशीर्वाद से

अच्छी मेंहदी हो

कल लगायी थी बाई गौरी पूजन के समय

अच्छा चूड़ा हो

कल पहना था बाई पूजन के समय

सदा सुहागिन हो

गौरा बाई आपके आशीर्वाद से

अच्छे चावल हो

कल खाये थे बाई गौरी पूजन के समय

आज तो पुन: भूख लग गई

गौरां बाई आपके आशीर्वाद से

हिंगलू का पलंग हो

कल सोये थे बाई गौरी पूजन के पश्चात

मीठी मीठी रही है नींद

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर
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