चूंदड़ली* रौ म्हारै गवरल बाई नै कोड
ले दोनी मेवाजळ रा चावा चूंदड़ी
फिरिया औ गवरल बाई देसां नै परदेस
नीं मिली सवागण चूंदड़ी
लादि-लादि हेमाजळ री पोळ
ओढौ नीं और कानूड़ै रा बेनड़ चूंदड़ी
चूंदड़ली रौ म्हारै रामकंवर बाईसा नै कोड
ले दोनी ओ पिरथवी सिंग जी रा चावा चूंदड़ी
फिरिया और भटियल राणी देसां-परदेस
नीं मिली सवागण चूंदड़ी
लादि-लादि राम सिंग सा री पोळ
ओढ़ौ नीं सवाई सिंग सा रा बेनड़ चूंदड़ी
*चूंदड़ी—'मायरा' भरते समय भाई द्वारा बहिन को चूंदड़ी ओढ़ायी जाती है।
चुनरी का हमारे गौरां बाई को बड़ा शौक है
लेकर दे दो मेवाजल के सुपुत्र चुनरी
घूम फिर कर आये गौरां बाई देश और परदेश
नहीं मिली सुहागिन चुनरी
यह तो मिली-मिली हिमालय राजा के द्वार
ओढ़िए ओ कानूड़े की बहिन चुनरी
चुनरी का हमारे रामकँवर बाईसा को बड़ा शौक है
लेकर दे-दो ओ पृथ्वी सिंह जी के सुपुत्र चुनरी
घूम फिर कर आये भटियाणी रानी देश और परदेश
नही मिली सुहागिन चुनरी
यह तो मिली-मिली राम सिंह जी के द्वार पर
ओढ़िए सवाई सिंह जी की बहिन चुनरी