बाड़ी-बाड़ी भंवरौ भणकै रै बाई गवरल अे

ईसर जी पाग बिराजै रै बाई गवरल अे

अे तौ गवरल बाई फिर घिर निरखै रै बाई गवरल अे

बाड़ी-बाड़ी भंवरौ भणकै रै बाई गवरल अे

तौ भंवर सिंग सा रै पाग बिराजै रै बाई गवरल अे

तौ इंदर कंवर बाईसा फिर घिर निरखै रै बाई गवरल अे

बाड़ी-बाड़ी भंवरौ भणके रै बाई गवरल अे!

हर छोटी बगीची में भंवरा उड़ रहा है बाई गवरल अे

ईसर जी की पाग पर भंवरा जा बैठा बाई गवरल अे

यह तो गौरां बाई घूम फिर कर ईसर जी को देख रहे हैं बाई गवरल अे

हर छोटी बगीची में भंवरा उड़ रहा है बाई गवरल अे

यह तो भंवर सिंह जी की पाग पर भंवरा जा बैठा बाई गवरल अे

यह तो इन्द्र कंवर बाईसा घूम फिर कर निरख रहे हैं बाई गवरल अे

हर छोटी बगीची में भंवरा उड़ रहा है बाई गवरल अे

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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