दिन उग्यो कूकड़ी बोले रे
आई नव प्रभात
गांव रा गीगा हंस ल्यौ रे
गई अंधारी रात
नवां नवां हो झाड़ हाथ ले
सोडला में चालौ-चालौ
खेतड़ला में चालौ
आयो नव प्रभात
कान खोल के सुण ल्यौ जवानो
धरती सोना निपजै रे,
मेहनत सूं, मेहनत सूं
गई अंधारी रात
दिन उग्यौ कूकड़ी बोलै रे
आयो नव प्रभात।

मुर्गी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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