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साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
बोर री हूंस
unknown
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लाल पिलंगड़ौ पिछोकड़ै
सूती छी कोई बूझै बात
भंवर म्हानै बोरिया भावै
बारै यूं म्हारा सुसरोजी आया
आज बहुवड़ क्यूं सूत्या ओ राज
भंवर म्हानै बोरिया भावै
खारक खोपरा खावौ म्हारी बहुवड़
बोरां री रुत काहू जो राज
भंवर म्हानै बोरिया भावै।
बेर
की
भावन
स्रोत
पोथी
: राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना
,
संपादक
: डॉ. हनुमान गालवा
,
प्रकाशक
: बुक्स ट्रेजर, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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