सावण लाग्यौ भादवौ जी
ओ तो बरसण लाग्यौ मेह, बनिसा
मोरीया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
म्हारी दोराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी मनाबा जाय बनिसा
मोरीया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यो रे
ऊगण लागी बाजरी रे म्हारी ऊगण लागी बाजरी रे
म्हारी ऊगण लागी जवार बनिसा
मोरिया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
काटूं म्हैं काटूं बाजरी रे म्हारी काटूं म्हैं काटूं बाजरी रे
म्हारी काटूं म्हैं काटूं जवार बनिसा
मोरिया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे।
आळिया में पड़गी बाजरी जी म्हारी आळिया में पड़गी बाजरी जी
म्हारी कोठां में पड़गी जवार बनिसा
मोरीया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे झट सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यो रे झट सियाळौ लाग्यो रे
म्हारी देराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी मनाबा जाय बनिसा
मोरिया रे झट चौमासौ लाग्यौ रे सियाळौ लाग्यौ रे
झट चौमासौ लाग्यौ रे सियाळौ लाग्यौ रे...
झट चौमासौ लाग्यौ रे सियाळौ लाग्यौ रे...॥

चौमासा

 

श्रावण आया, आया भाद्रपद

यह तो बरसने लगा मेघ, बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

मेरी देवरानी जेठानी रूठ गई रे

मेरी सास मनाने जाए, बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

उगने लगा हमारा बाजरा, जी उगने लगा बाजरा

मेरी उगने लगी ज्वार बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

झटपट आया चौमासा झटपट आया सियाला

मेरी काटूं मैं काटूं ज्वार बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

झटपट आया चौमासा झटपट आया सियाला

आले में गई बाजरी जी मेरी आले में गई बाजरी

कोठे में गई मेरी ज्वार बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

झटपट आया चौमासा झटपट आया सियाला

मेरी देवरानियां-जेठानियां रूठ गई रे

मेरे सासू जी मनाने जाए बनिसा

मोर रे तुरंत चौमासा आया, तुरंत आया सियाला

झटपट आया चौमासा आया रे... झटपट सियाला आया रे...॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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