चाँद चढ्यो गिगनार किरतियां ढल आई आधी रात पीव जी

अब तो घरां पधार मारुड़ी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे

ज्यूँ ज्यूँ तेल बळे दिवले में, धण बाती सरकावे जी

नहीं आयो मद चकियो रसियो दिवलो नाड़ हिलावे जी

दिवले सूं झुँझलाय गौरी दिवलो दियो बुझाय

मारुड़ी थांरी बिलखे छे जी बिलखे छे

सिसक सिसक कर गौरी रोवे तकियों काळो करियो जी

उगते सूरज रसियो आयो हाथ पीठ पर धरियो जी

कठे बिताई सारी रात थाने उग आयो परभात

मारुड़ी थांरी बिलखे छे जी बिलखे छे

हाथ छिटक कर गौरी बोली अब क्यों घरां पधारया जी

सौतण के संग रात बिताई कर कर कोड सवाया जी

कठे बिताई सारी रात थे तो कर दी नी परभात

मारुड़ी थांरी बिलखे छे जी बिलखे छे

ऊक चूक मत बोलो गौरी मत ना देवो ताना जी

साथीड़ां संग रात बिताई खेल्या चोपड़ पासा जी

बठे बिताई सारी रात म्हाने उग आयो परभात

गौरी मुस्काओ जी मुस्काओ जी

चंदो गयो सिधार देखो उग आयो परभात

म्हारा अब आया भरतार मनड़ो मुळके छे जी मुळके

जुड़्योड़ा विसै