लाल पिलंगड़ौ पिछोकड़ै
सूती छी कोई बूझै बात
भंवर म्हानै बोरिया भावै
बारै यूं म्हारा सुसरोजी आया
आज बहुवड़ क्यूं सूत्या ओ राज
भंवर म्हानै बोरिया भावै
खारक खोपरा खावौ म्हारी बहुवड़
बोरां री रुत काहू जो राज
भंवर म्हानै बोरिया भावै।

बेर की भावन

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य में पर्यावरण चेतना ,
  • संपादक : डॉ. हनुमान गालवा ,
  • प्रकाशक : बुक्स ट्रेजर, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै