माथा नै मैंमद ल्यायी गणगौर

रखड़ी ऊपर दादर मोर

नणदल का बीर हंस बोलौ

सासू सुगना का जोध हंस बोलौ

हिवड़ा का हांस ल्यायी गणगौर

तिलड़ी ऊपर दादर मोर

नणदल का बीर हंस बोलौ

सासू सुगना का पूत हंस बोलौ

हंस बोलौ जी म्हांसू दिल खोलौ

छपर पिलंग पर दिल खोलौ

भोळी बाईसा रा बीर हंस बोलौ

कानां नै सायधण ल्यायी गणगौर

बय्यां नै चुड़लौ ल्यायी गणगौर

झुठणा ऊपर दादर मोर

नणदल बाईसा का बीर हंस बोलौ

सासू सुगना का जोध हंस बोलौ

हंस बोलौ जी ढोला दिल खोलौ

छपर पिलंग पर कस खोलौ

नणदल का बीर हंस बोलौ

सासू सुगना का जोध हंस बोलौ

माथे के लिए मैंमद लाना गणगौर पर

रखड़ी के ऊपर दादुर मयूर चित्रित हैं

ननद के भाई हँस कर बोलो

सास के सुपुत्र हँस कर बोलो

हिय के लिए 'हांस' लाना गणगौर पर

तिलड़ी के ऊपर दादुर मयूर चित्रित हैं

ननद के 'बीरा' हँस कर बोलो

सास के सुपुत्र हँस कर बोलो

हँस कर बोलो जी हमसे दिल खोलो

पलंग पर दिल खोलो

भोली बाईसा के भाई हँस कर बोलो

कानों के लिए 'सायधण' लाना गणगौर पर

बाहों के लिए चूड़ा लाना गणगौर पर

'झुठणा' के ऊपर दादुर मयूर चित्रित हैं

ननद बाईसा के भाई हँस कर बोलो

सास के सुपुत्र हँस कर बोलो

हँस कर बोलो जी ढोला हम से दिल खोलो

पलंग पर केलि क्रीड़ा कीजिये

ननद के भय्या हँस कर बोलिए

सास के सुपुत्र हम से हँस कर बोलिए

स्रोत
  • पोथी : गणगौर के लोक-गीत ,
  • संपादक : महीपाल सिंह राठौड़ ,
  • प्रकाशक : सुधन प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : 1
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